DEAR ZINDAGI

Wednesday, 10 October 2018

ARE YOU A Sukhiram Or A Dukhiram?

October 10, 2018 2
ARE YOU A Sukhiram Or A Dukhiram?

The Winner Never Quits

Two boys were walking down a country  road when they saw two milk cans being loaded for delivery  in a nearby city. Seeing no one, the boys lifted off the cover of can number one and dropped in a big bullfrog . Then they lifted off the cover of can number two and dropped in another bullfrog . Later the cans were picked up and loaded for delivery .
   
During the journey , the bullfrog in can number one said: This is terrible !I can't lift off the cover of the can because it's too heavy. I have never had a milk bath before, and I can't reach to the bottom of the can to get enough pressure to lift the cover , so , what's the use ....." --and he gave up trying and quit! When the cover of can number one was taken off , there was a big dead bullfrog . He was Dukhiram .
     
The same conditions existed in can number two and the frog said to himself : " well , I can't lift off the cover because it's too tight and too heavy . I cannot drill a hole to save myself , but from Father Neptune there is one thing I learned  to do in liquids and that is to swim." So, he swam ,and swam, and swam , and churned a lump of butter and sat on it , and when the cover was lifted off , out he jumped . He was Sukhiram. 
   SO the winner never quits and the quitter never wins! 
   There  lived an old man with rowboat who ferried passengers across a mile- wide river for  ten paise. Asked " How many times in a day do you do this ?" he said , " as many times as I can  beacuse  the more  I go, the more I get . And if I ddont go , I dont get."

एक सकारात्मक विचार फैक्टरी शुरू करें

October 10, 2018 1
एक सकारात्मक विचार फैक्टरी शुरू करें


अपना विचार देखें, वे आपके शब्द बन जाते हैं। अपने शब्दों को देखें, वे आपके कार्य बन जाते हैं। अपने कार्यों को देखें, वे आपकी आदत बन जाते हैं। अपने कार्यों को देखें, वे आपकी आदत बन जाते हैं। अपनी आदतों को देखें, वे आपका चरित्र बन जाते हैं।

 यदि यह आपके विचारों, शब्दों, कार्यों और आदतों को देखने के लिए आपका चरित्र है, तो आप उठने के बाद अपने नकारात्मक विचारों को कम करने में सक्षम होंगे। एक नकारात्मक मानसिकता अनियंत्रित भावनाओं का परिणाम है। एक बार जब आप इसके बारे में जानते हों, तो आप यह सुनिश्चित करने में सक्षम होंगे कि आपके लिए जो भी अच्छा है।

   मेरे विचारों को नियंत्रित करने के लिए, मुझे एक आसान तरीका मिला है: गीगो बनाम बीआईबीओ। मैंने जीआईजीओ पर सुधार किया है- एक कंप्यूटर शब्द जिसका अर्थ कचरा है कचरे में - अच्छे विचारों में अच्छे विचारों को बुलाकर। असल में, कुछ हद तक, एक कंप्यूटर और एक मानव दिमाग तुलनीय है जैसा कि आप आउटपुट के रूप में जो भी प्राप्त करते हैं, उस पर निर्भर करता है कि आप इनपुट के रूप में क्या खाते हैं। जैसे ही आप बोते हैं, तो आप भी काट लेंगे .. लेकिन फिर, आदमी एक मजेदार जानवर है। वह सोचता है कि वह बुद्धिमान है, कि यह सत्य दूसरों पर लागू होता है, न कि उसके लिए। एक आदमी कितना गलत हो सकता है! अन्यथा वह खुद को या उसके बच्चों को बेवकूफ बॉक्स के सामने बैठने और सभी कचरे को देखने की अनुमति क्यों देगा। यह एक तथ्य है कि मेरा सबसे बड़ा दुश्मन या दोस्त खुद है!

  यही कारण है कि मैं अपने दिमाग को टेलीविजन और वीडियो, दोस्तों और सहयोगियों, पुस्तक और समाचार पत्रों से बुरे विचारों के साथ बमबारी करने की इजाजत नहीं देता हूं, और इसी तरह (बीबीओ- खराब विचारों में खराब विचार)

   यह दैनिक मानसिक सुखाने से हमें नए और बेहतर विचारों के आने के लिए हमारे दिमाग का 6to 9 प्रतिशत खाली रखने में मदद मिलेगी। और आकस्मिक रूप से, यदि हम इस सफाई से बचते हैं, तो यह निश्चित रूप से तनाव और उपभेदों का कारण बनता है, तब इस मस्तिष्क का कोई अंत नहीं होता है जो हमारे दिमाग में जमा होता है। हमारे दिमाग dustbins की तरह beacome होगा।

  इस कारण से, मैं जो पढ़ता हूं और जिन लोगों के साथ मैं अपना समय बिताता हूं, उनके बारे में मैं बहुत चुनिंदा हूं। मैं खुश होना चाहता हूं क्योंकि मुझे अच्छे विचारों का निर्माण करना है।

हमारे मन कुछ कारखाने हैं और सकारात्मक विचार या नकारात्मक विचारों का निर्माण कर सकते हैं। केवल हम तय कर सकते हैं कि कौन से विचार निर्माण करना है। जो खुश रहना चाहते हैं, खुश विचार बनाने के लिए अपने दिमाग को प्रशिक्षित करें। जो लोग लगातार नकारात्मक विचारों का निर्माण करते हैं वे कुछ गलत इंप्रेशन के तहत होते हैं और उनकी प्राथमिकताओं के बारे में मिश्रित होते हैं। उन्होंने यह नहीं सोचा है कि उनके लक्ष्य उनके पर्यावरण में क्या हैं। उन्होंने अपने सटीक गंतव्य के बारे में फैसला नहीं किया है और इसलिए गति और दिशा बदलना जारी रखें और इसलिए गति और दिशा बदलना जारी रखें। जो कुछ भी वे गलत रास्ते पर पाते हैं, वे नकारात्मक हो जाते हैं। वे लाहौर जाना चाहते हैं लेकिन पेशावर के लिए सड़क पर हैं!

आइए दो किसानों को लें- प्रत्येक में एकड़ भूमि है। किसान सांता वह करता है जो वह और उसके पूर्वजों ने उम्र के लिए किया है। दूसरी तरफ, हमारे पास किसान बंता है जो हमेशा कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों से बात करते हुए यात्रा करते हैं और सोचते हैं और हर समय अभिनव काम करते हैं।

कौन बेहतर होगा? स्वाभाविक रूप से, बंता।



  माई टोकिया कलाम (पालतू अभिव्यक्ति) दुनिया के शीर्ष पर चर्डी कला है) और बैले बैले (हरे! हरे!) -

मैंने कभी अन्यथा सोचा नहीं है। मैं उस अवधारणा का पालन करता हूं जिसे मैंने कभी नहीं सोचा था। मैं इस अवधारणा का पालन करता हूं कि यदि बीमारी अपरिहार्य है, आराम करो और इसका आनंद लें! राष्ट्रपति निक्सन ने छह संकट उठाए जब उन्हें राष्ट्रपति अभियान के दौरान घुटने की चोट के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया।

 मैं अपनी समस्याओं, मेरी चिंताओं, मेरी चिंताओं, किसी के साथ मेरा तनाव कभी साझा नहीं करता जब तक कि वह मेरी मदद या मार्गदर्शन नहीं कर सकता। इसके अलावा, मुझे गुरु नानकजी, नानक दुखिया साब संसार से मेरी प्रेरणा मिली ...... (ओह नानाक, इस दुनिया में सभी को बड़ी समस्याएं हैं)। मानसिक रूप से मैं सबकुछ के लिए तैयार हूं - मौत को घेरना! तो क्या - अगर इसे आना है, तो उसे आना है। और जैसे हमारे भगवान कृष्ण कहते हैं, "अपना काम करो"। बस करो, दोस्त, और बाकी उसके हाथों में है।



चीजें जीवन में चलनी है। मैंने उन लोगों को देखा है जिन्होंने अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। यह पूरी तरह से एक स्वदेशी अपने मानसिक मेकअप पर निर्भर करता है और वह जीवन के लिए कैसे तैयार करता है।

     हमारा दिमाग एक एकड़ जमीन की तरह है जिसमें हम फूल या खरपतवार उग सकते हैं। दुर्भाग्यवश, खुशी के अपने स्वयं के बीज (कहानियां, उदाहरण, प्रदर्शन, प्रदर्शन, कहानियां) लगाने के प्रयास किए जाने पर प्रयासों को खरपतवार विकसित करने के लिए मानव प्रकृति है। और जमीन के एक टुकड़े की तरह, जब तक कि टिलिंग, बीजिंग, पानी, उर्वरक और खरपतवार आवश्यक न हो, हम निश्चित रूप से खरबूजे प्राप्त करने जा रहे हैं!


मेरा दिमाग और मेरा दिल मेरी सबसे अच्छी आशंका है। मुझे सोने और जाने से पहले, हर दिन, एक्सपोजर और अनुभव के माध्यम से, जानबूझकर और अवचेतन रूप से "आविष्कार" करना चाहिए। मेरे लिए, ये मेरे आस-पास के एकड़ जमीन खेती और फसल करने के लिए हैं ..... जैसा कि मैंने बोया, तो मैं भी काट दूंगा! यह मेरे अवचेतन में है कि मैं सकारात्मक विचारों को इकट्ठा कर सकता हूं और उन्हें कंप्यूटर डिस्क पर एक स्टोर कर सकता हूं (क्षमता: एक करोड़ पृष्ठ)! मैं अपने दिमाग का उपयोग अपने दिल को ट्रिविया के लिए कचरे के डिब्बे के रूप में नहीं करती  हूं| 

Tuesday, 9 October 2018

Start a Positive Thought Factory

October 09, 2018 0
Start a Positive  Thought Factory

Born to WIN 
watch your thought, they become your words. Watch your words, they become your actions. Watch your actions, they become your habits. Watch your actions, they become your habits. Watch your habits, they become your character.
 If it is your character to watch your thoughts, words, actions, and habits, you will be able to weed out your negative thought as they arise. A negative mindset is the result of unruly emotions. Once you are aware of this , you will  be able to ensure whatever is good for you.
   For controlling my thoughts, I have found a simple way: GIGO vs BIBO. I have improvised on GIGO- a  computer term meaning garbage In garbage Out - by calling it Good Ideas In Good Ideas Out. In fact , to some extent , a computer and  a human mind are comparable inasmuch as what you get as ouput depends on what  you feed in as input. As you sow , so shall you reap .. But then , man is a funny animal . He thinks that he is smarter, that this truth is applicable to others and not to him . How mistaken  a man can be ! Otherwise  why would he allow himself or his children to sit in front of the idiot box and watch all the trash . It is  a fact that my biggest enemy or friend is myself!
  It is for this reason that I do not allow my mind to be bombarded with bad ideas from television  and videos, friends and associates, book  and newspapers, and so on ( BIBO- Bad Ideas In Bad Ideas Out)
   This daily mental dry cleaning will help us to have 6to 9 percent of our minds empty for new and better ideas to come in . And incidentally, if we avoid this cleaning , it will surely cause stresses and strains, because then there is no end to this filth which accumulates in our minds . Our minds will become like dustbins.
  For This  reason , I am very selective about what I Read and the people with whom I spend my time . I want to be happy because I have to manufacture good thoughts.
Our MINDS ARE THOUGHT FACTORIES AND CAN MANUFACTURE  either positive thoughts or negative thoughts. Only we can decide which thoughts to manufacture. Those who want to be happy , train their minds to create happy thoughts . People who constantly manufacture negative thoughts are under some wrong impressions and are mixed up about their priorites. They  have not given  a thought to what their goals are in their environment. They have not decided about their exact destination and therefore keep on changing speed and direction and therefore keep on changing  speed and direction. Whatever they find themselves on a wrong road , they become negative . They want to go to Lahore but are on the road to peshawar !
Let us take two farmers-  each having an acre of land . Farmer Santa does what he and his anscestors have been doing for ages. On the other hand , we have farmer Banta  who is always visitings ansd talking to professors of an agricultural university and is thinking and working innovatively all the time.
who will be better off? Naturally, Banta.

  My takia kalaam(pet expression) is chardi kala wich on top of the world )  and balle balle ( hurrah! hurrah!) -
never have I thought otherwise . I follow  the concept that  never  have I thought otherwise . I follow the concept that if sickness is unavoidable , relax and enjoy  it ! President  Nixon wrote  six crises WHEN he  was hospitalised for a knee injury during a president campaign .
 I never share my problems, my anxieties, my worries, my stress with anyone unless he can help or guide me . Also , I get my inspiration from Guru Nanakjee, Nanak dukhia sab sansar......( oh nanak , in this world everyone has big problems). Mentally I am prepared for everything -- incliding death ! So what -- if it has to come , it has to come . And like our Lord Krishna says , " do your job " . Just do it , buddy  , and the rest is in his hands.

Things have to go on in life . I have seen people who have done very well in favourable as well as in adverse  circumstances. It depends purely upon an individual's  own mental makeup  and how he prepares for life .
     Our mind is like an acre of land in which  we can either grow flowers or weeds . Unfortunately , it is human nature to grow weeds if efforts  are not made to plant  your own  SEEDS ( Stories, Examples, Exhibits, Demonstrations, Sayings ) of happiness . And  like a piece of land , unless  tilling, seeding , watering , fertilising  and weeding is done  as required , we are surely going to get weeds !

My mind and my heart are my best assests.   I must " invent " them , consciously  and subconsciously  , through exposure  and experience --- every day , before  I go to sleep . For me , these  are my adjoining acres of land to cultivate and harvest ..... as I sow , so shall I reap ! It is in my subconscious that I  can assemble positive thoughts and store  them  like one does on a computer disc( capacity: one crore  pages )!  I do not  use my mind  nad my heart  as garbage  cans for the trivia  which is produced  daily by mass media , friends , colleagues, near  and dear ones. I select what is best and derive inspiration  from shabri ke ber ( sift the good ones ) , and I reject what is likely  to pollute my mind  and my heart. I listen to motivational cassettes, read motivational books and seek friends and  colleagues  from  whom  I can learn .  I make and conduct  my own  programmes for my mind  and my heart .


Think Poor , stay poor . Think rich , stay rich ! your  prosperity or poverty is result of  your thinking . You can be either rich or poor , depending on how you tain your mind to THINK . Every one knows that this is a fact . Every one knows that this is a fact . Every religion  says so . I have  been  able to achieve  prosperity , to some extent , by following simple rules,. I  could not select my parents: the rest  I can , and I do ,  as much as possible ! I keep the company of those  who  are seemingly  happy with what they have got and also happy with what they don't have .
   Again , my mind is my factory of thoughts. I order it to produce positive thoughts such as " I am  rich , I am happy ."
    Air- condition your heart and your mind instead of air - conditioning  your  house ! When  you think positive thoughts, many things will happen on their own. Your  stresses will disappear! It is definitely not wealth but wisdom that makes men rich . after all , the richest man is the one who wants the least. Wealth without wisdom is very stressful. Riches and stress inseprable , unless you are a wise and mature man.
If you want happiness for a lifetime...learn to love what you do .
   REMEMBER , A WISE MAN CAN BECOME RICH BY DINT OF  SHEER HARD WORK.